कई जगह पर राकांपा पदाधिकारियों के इस्तीफे
मुंबई। राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मेहबूब शेख (mehboob sheikh) ने चेतावनी दी है कि यदि शरद पवार (Sharad Pawar) ने 5 मई तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया तो 6 मई से राज्यभर में आंदोलन किया जाएगा। वहीं राज्यभर में कई राकांपा पदाधिकारियों के इस्तीफा (Resignation) देने की खबर आ रही है। धाराशिव में राष्ट्रवादी कांग्रेस के 32 पदाधिकारियों के इस्तीफा देने की घोषणा की है। बुलढाणा में जिला उपाध्यक्ष और मलकापुर में पदाधिकारियों ने इस्तीफे दे दिए। जलगांव में राकांपा जिला कार्यालय के बाहर आंदोलन किया गया। पुणे में राकांपा कार्यालय के बाहर आंदोलन किया गया। आंदोलन के जरिए शरद पवार से इस्तीफा वापस लेने की मांग की गई।
पवार महाराष्ट्र की राजनीति की आत्मा: राऊत
इधर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राऊत (Sanjay Raut) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष पद को छोड़ने संबंधी शरद पवार के फैसले पर कहा कि उनका निर्णय शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे (Bal Thackeray) के इस्तीफे के फैसले जैसा है। उन्होंने पवार को महाराष्ट्र की राजनीति की आत्मा करार दिया। राऊत ने ट्वीट किया कि गंदी राजनीति और आरोपों से थक चुके शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसा लगता है कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है... लेकिन शिवसैनिकों के प्रेम की वजह से उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा... बालासाहेब की तरह पवार साहेब भी राज्य की राजनीति की आत्मा हैं। गौरतलब है कि राऊत की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की घटक है जिसमें राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं। राकांपा नेता अनिल देशमुख ने कहा कि राज्य और देश को पवार साहेब की जरूरत है। उन्होंने मराठी समाचार चैनल से कहा कि सभी ने पवार साहेब से राकांपा प्रमुख के पद पर बने रहने का अनुरोध किया और उनसे फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि शरद पवार ने यह फैसला क्यों लिया। उन्होंने इसे राकांपा का अंदरुनी मामला बताया। पटोले ने कहा कि शरद पवार के इस्तीफ से महाविकास आघाड़ी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
महाविकास आघाड़ी को लगेगा झटका: आठवले
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Ramdas Athawale) ने कहा कि शरद पवार के इस्तीफे से महाविकास आघाड़ी को बड़ा झटका लगेगा। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों के एकजुट होने की चल रही कोशिशों को भी नुकसान होगा। आठवले ने कहा कि वरिष्ठ नेता शरद पवार से मेरे बहुत करीबी संबंध हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव है। उन्होंने महाराष्ट्र सहित पूरे देश में राजनीतिक मंच पर अपने नेतृत्व की अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने पूरे देश में एनसीपी के संगठन को काफी बढ़ाया है। एनसीपी का महाराष्ट्र में एक प्रमुख पार्टी के रूप में स्वतंत्र अस्तित्व है। एनसीपी को उनके जैसा दूसरा नेतृत्व नहीं मिल सकता। शरद पवार के एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ने से एनसीपी पार्टी कमजोर होगी। शरद पवार जैसा नेतृत्व एनसीपी को कोई दूसरा नेता नहीं दे सकता। शरद पवार ने जिस ताकत से एनसीपी को चलाया, उसे कोई और एनसीपी नहीं चला सकती।
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