एक चुनावी भाषण में दिए गए बयान पर सूरत के कोर्ट ने मानहानि के मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई। मामला और सजा पर प्रश्नचिन्ह उठाया जा रहा है। सत्ता और कांग्रेस दोनों अपने-अपने ढंग से इसे परिभाषित कर रहे हैं। सत्ता कह रही है राहुल सामंतवादी विचारधारा के हैं। अपने अहंकार में उन्होंने पिछड़े समाज का अपमान किया है। जिसके लिए कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई। कांग्रेसी इसे राजनीतिक अत्याचार बता रही हैं। कांग्रेस सजा, परिस्थिति और समय का सवाल उठा रही है। मानहानि मामले में यह अबतक की सबसे अनोखी सजा है।
क्या था मामला- ‘‘एक चुनावी भाषण में राहुल ने कहा कि तीस हजार करोड़ रूपया आपकी जेब से निकालकर उनकी जेब में, मेहुल चोकसी ललित मोदी अच्छा एक छोटा सा सवाल? इन सबके नामए इन सब चोरों के नाम, मोदी मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी थोड़े ढूंढेंगे तो और बहुत सारे मोदी निकलेंगे’’।
सत्ता इसे पिछड़ों के अपमान से जोड़कर तूल दे रही है। तो कांग्रेस लोकतंत्र पर हमला बताकर विपक्षियों को एकत्रित कर सत्ता के प्रति लामबंद हो रही है। देश की सभी विपक्षी पार्टियां राहुल के सांसदीय जाने के मुद्दे पर एक हैं। विपक्ष कह रहा है के अदानी मुद्दे पर सरकार प्रश्न से भाग रही है। विपक्षी अडानी प्रकरण में मोदी पर सीधा आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कह रही है कि 20000 करोड़ रुपया का घपला है। यह पैसा मोदी का है। सत्ता और विपक्ष आमने-सामने हैं। सांसद नहीं चल पा रही।
आज तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि सत्ता स्वयं सांस संसद नहीं चलने दे। राहुल के विदेश में दिये गये बयान पर सत्ता राहुल माफी मांगे पर अड़ी है और सत्ता स्वयं संसद नहीं चलने दे रही। इससे विपक्ष को यह कहने का मौका दे रही है कि सरकार बहाने से अडानी प्रकरण से भाग रही है।
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