नवी मुंबई में एनसीपी की डूबती नईया को क्या पार लगा पाएंगे दलबदलू नेता ? - भारत संवाद

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Monday, September 19, 2022

नवी मुंबई में एनसीपी की डूबती नईया को क्या पार लगा पाएंगे दलबदलू नेता ?

रमाकांत पांडेय नवी मुंबई: नवी मुंबई में एनसीपी का जनाधार अब कमजोर होता जा रहा है । अभी तक जिसके हांथ में एनसीपी की बागडोर थी वो भी अपनी राजनीतिक कैरियर तलाशने के लिए शिवसेना (शिंदे गुट) का दामन थाम लिया। अब नवी मुंबई में यह चर्चा शुरू हो गई है कि राकांपा की डूबती नईया को क्या पार लगा पाएँगे दलबदलू नेता! चूंकि दलबदलू नेता की छवि बना चुके नामदेव भगत को एनसीपी की बागडोर सौंपी गई है। दरअसल नवी मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का जनाधार धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है,जबकि गणेश नाईक के कार्यकाल में एनसीपी नवी मुंबई में सबसे मजबूत पार्टी थी और नवी मुंबई महानगर पालिका पर एकक्षत्र राज था लेकिन गणेश नाईक ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी क्या छोंडी एनसीपी की नैया डूबने की कगार पर पहुंच गई है ! गणेश नाईक के बाद पार्टी की बागडोर अशोक गावड़े को सौंपा गया उसके बाद से पार्टी में थोड़ी मजबूती आ रही थी लेकिन अचानक अशोक गावड़े अपने कुछ समर्थकों के साथ एनसीपी को बाय-बाय करते हुए शिंदे गुट में शामिल हो गए। नवी मुंबई में सबसे मजबूत पार्टी के रूप में पहचान बना चुकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का आज बर्चस्व कमजोर होता जा रहा है। हालांकि पार्टी में जान फूंकने के उद्देश्य से दलबदलू की छवि बना चुके नामदेव भगत को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन देखना अब यह होगा कि डूबती नईया को पार लगाने में नामदेव भगत कामयाब होंगे या फिर अपनी राजनैतिक विकल्प को मजबूत बनाने के लिए फिर से पाल्हा बदलेंगे ? एक वह समय था जब गणेश नाईक के नेतृत्व में नवी मुंबई में राकांपा सबसे मजबूत पार्टी थी और मनपा पर एकक्षत्र राज था,परंतु राज्य में जब शिवसेना- भाजपा की सरकार आई तो गणेश नाईक के खिलाफ ऐसी हवा चली कि उनका साम्राज्य ढहाने की पुरजोर कोशिश की गई, हालांकि बहुत कुछ नुकसान झेलना पड़ा उन्हें लेकिन बाद में एनसीपी को छोंड़कर भाजपा का दामन थामना पड़ा उन्हें ! जब वे एनसीपी को छोंड़कर भाजपा में शामिल होने गए थे तो 50 से ज्यादा नगरसेवकों सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उनके साथ थे। उस समय तो ऐसा लगा जैसे नवी मुंबई से एनसीपी का पूरी तरह से सफाया हो गया है, परंतु अशोक गावड़े ने एनसीपी की कमान संभाली और एक बार फिर से पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं को जोड़ रहे थे, लेकिन इसी बीच अचानक वे अपने समर्थकों के साथ शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो गए जिससे नवी मुंबई में फिर एक बार एनसीपी का बर्चस्व कमजोर होता दिख रहा है! एनसीपी की डूबती नैया को पार लगाने की जिम्मेदारी नामदेव भगत ने अपने कंधों पर ले लिया है परंतु इस तरह की चर्चा भी शुरू हो गई है कि जिसका कोई आधार नही वो भला पार्टी के लिए जनाधार कहाँ से जुटा पाएगा ? दलबदलू की पहचान बन चुकी भगत आखिर कैसे राकांपा की नैया को पार लगाएंगे!हालांकि नवी मुंबई में शिवसेना (उद्धव गुट) की स्थिति भी कमजोर होती जा रही है, क्योंकि नवी मुंबई में शिवसेना जिनके बदौलत एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई थी वही लोग शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं जिसकी वजह से शिवसेना का भी जनाधार कमजोर होता दिख रहा है। फिलहाल सवाल यह है कि एनसीपी की डूबती नैया को किनारे लगाने में नामदेव भगत सफल हो पाएंगे या बीच मजधार में छोंड़कर दूसरे नाव पर सवार हो जाएंगे ?

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