मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण झारखंड रज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण राची न्यायिक आकादमी झारखंड और नेशनल यूनवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन ला राची द्वारा आयोजित एसवी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में कहा कि अधुनिक लोकतंत्र में न्यायाधीश को केबल कानून बताने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक योजना में न्यायधीश का विशिष्ट स्थान होता है। वह समाजिजक वस्तविकाता और कानून के बीच की खाई को पाटता है।
इस समारोह में वक्तब्य देते हुए न्यायाधीश में अफशोश जाहिर किया कि आज मीडिया अपनी लक्षमण रेखा लांघ रहा है। वह कंगारू अदालतें चला रहा है जिससे न्यायाधीशों को न्यायिक निर्णय लेने में बाधा आती है। मुख्य न्यायाधीश के इस वक्तब्य पर कुछ लोग कह रहे है कि मुख्य न्यायाधीश की चिन्ता वाजिब है पर मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक प्रक्रिया पर भी ध्यान देना चाहिए।
याद रहे मुख्य न्यायाधीश ने अपने इस भाषण में कहा कि न्यायाधीश संविधान की लिपि और मूल्यों की रक्षा करता है। न्यायधीश ने कहा कई मौकों पर मैने लम्बित रहने वाले मुद्दो को उजागर किया है। मै जाजों को उनकी पूरी श्रमता से काम करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनो तरह के बुनियादी दांचे में संचार की आवश्यकता की पुजोर वकालत करता रहा हू।
मुख्य न्यायाधीश ने एक और तरफ ध्यान आकर्षित किया कि इन दिनों हम न्यायाधीशों पर शारीरिक हमालें की बढती संख्या देख रहे हैं। न्यायाधीशों को उसी समाज में बिना किसी सुरक्षा या आश्वासन के रहना होता है, जिसे उन्होंने दोषी ठहराया है। राजनेताओं नैकरशाहों पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियो को अक्सर उनकी नौकरी के संवेदनशीलता के कारण सेवानिबृत्ति के बाद भी सरक्षा प्रदान की जाती है।
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Saturday, July 23, 2022
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण: मीडिया अपनी लक्षमण रेखा लांघ रहा
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