गणेश नाईक के समर्थक क्यों बन गए कट्टर विरोधी ?
रमाकांत पांडेय/ नवी मुंबई
नवी मुंबई: महाराष्ट्र में पिछले कुछ महीनों से भाजपा-शिवसेना के बीच शुरू विवाद थमने का नाम ही नही ले रहा है। नवी मुंबई में एनसीपी यानि गणेश नाईक का मनपा पर एकक्षत्र राज था लेकिन जब एनसीपी को छोंड़कर भाजपा में शामिल हुए तो ऐसा लगा कि नवी मुंबई से जैसे एनसीपी का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा, परंतु कुछ ही दिन बाद राकांपा सुप्रीमो का नवी मुंबई में आगमन क्या हुआ पूरे खेल का पांसा ही बदल गया। एनसीपी की ताकत धीरे-धीरे बढ़ने लगी और सारी पार्टियों के नेता एकजुट होकर गणेश नाईक को कमजोर करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने लगे हैं। सोमवार को जब एक और मामला सामने आया कि तुर्भे में मनपा के इंग्लिश स्कूल का उद्घाटन को लेकर शिवसेना और भाजपा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए, इससे तो यही कहा जा सकता है कि भाजपा-शिवसेना के बीच दरारें बढ़ती ही जा रही है।
नवी मुंबई के शिल्पकार कहे जाने वाले गणेश नाईक को कमजोर करने के पीछे कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी आखिर क्यों एकजुट हो गई। नाईक के कट्टर समर्थक क्यों कट्टर विरोधी बन गए हैं ! इस पर अगर एक नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि गणेश नाईक के कट्टर समर्थक आखिर क्यों बगावत करने लगे। इस बार होने वाले मनपा चुनाव में मनपा की कमान किसी भी कीमत में गणेश नाईक से छीनने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। चूंकि पिछले कई वर्षों से नवी मुंबई मनपा पर एकक्षत्र गणेश नाईक का राज था, जिसे चाहा उसे महापौर, स्थायी समिति सभापति, परिवहन सभापति, आरोग्य सभापति की कुर्सी पर बैठाया लेकिन आज स्थिति यह है कि गणेश नाईक के समर्थक कहे जाने वाले उनका साथ छोंड़कर बगावत पर उतर आए हैं। कहा तो यह जा रहा है कि जिस गणेश नाईक के सामने कार्यकर्ता बैठने तक की हिमाकत नही करते थे आज वही बगावत कर रहे हैं। एक से बढ़कर एक दिग्गज नगरसेवकों ने उनका साथ छोड़ दिया, इसके पीछे का कारण उनके छोटे सुपुत्र संदीप नाईक को बताया जा रहा है। संदीप नाईक की कार्यशैली से नाराज होकर कई नगरसेवक गणेश नाईक से दूरी बना लिया। एक दौर था जब गणेश नाईक का नवी मुंबई में अगर कोई खुलकर विरोध करता था तो वो कांग्रेस के डी.आर.पाटिल थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार नाईक खेमे में शामिल हो गया। उसके बाद कट्टर विरोधक के तौर पर उनके सामने कोई नही था, परंतु आज हालात यह है कि उनके ही कट्टर समर्थक कट्टर विरोधी बन गए हैं। तुर्भे में मनपा के द्वारा इंग्लिश स्कूल शुरू होने से स्थानीय नागरिकों में जहाँ खुशी का माहौल है वहीं उद्घाटन को लेकर शिवसेना-भाजपा फिर आमने-सामने आ गए। स्थानीय भाजपा पदाधिकारी और शिवसेना के पूर्व नगरसेवक सुरेश कुलकर्णी भी अपने दलबल के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए और मामला बिगड़ते-बिगड़ते संभल गया। हालांकि इस दौरान शिवसेना उपनेता विजय नाहटा, विजय चौगुले सहित अन्य शिवसैनिक मौजूद थे और भाजपा के पदाधिकारी मंच पर भाषणबाजी शुरू कर दिया, जबकि वहां की सारी ब्यवस्था सुरेश कुलकर्णी की तरफ से किया गया था तो फिर भाजपा कार्यकर्ताओं को वहाँ पर जाने की क्या जरूरत थी। यहाँ भाजपा कार्यकर्ता शिवसेना पर दादागिरी गुंडागर्दी करने का आरोप लगा रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि नवी मुंबई में भी शिवसेना-बीजेपी के बीच कट्टरता बढ़ती जा रही है। अभी हाल ही में मनपा चुनाव को देखते हुए वार्ड की संरचना की गई है, जो तीन वार्ड को मिलाकर एक प्रभाग तैयार किया गया है, इस बार का चुनाव कुछ अलग अंदाज में होने वाला है, लेकिन गणेश नाईक ने यह कहकर खलबली मचा दी है कि वार्ड संरचना को 15 दिन में निरस्त किया जाएगा और नए सिरे से पुनः वार्ड की संरचना की जाएगी। फिलहाल राज्य में महाविकास आघाड़ी की सत्ता है ऐसे में क्या फिर से नवी मुंबई के वार्डों की संरचना में फेरबदल किया जाएगा? कुल मिलाकर गणेश नाईक यानि भाजपा को मात देने के लिए सभी पार्टी के नेता लामबंद हो गए हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले मनपा चुनाव में गणेश नाईक फिर से मनपा की सत्ता पर काबिज हो पाएंगे या फिर उनका एकक्षत्र राज खत्म हो जाएगा ?
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